भीम-मीम की राजनीति

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पाकिस्तान जाने का दुख उन्हें सालता रहा। पाकिस्तान के बहुसंख्यक मुस्लिमों के हाथों लाखों दलितों के नरसंहार का पश्चाताप उन्हें कचोटता रहा। पश्चाताप इसलिए, क्योंकि इनमें से बहुत से दलित परिवार उन्हीं की अपील पर पाकिस्तान का हिस्सा बनने को तैयार हुए थे।

राष्ट्र संगठन का वैचारिक अधिष्ठान-डॉ. हेडगेवार

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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने अपने लिए कहीं कोई घर नहीं बनवाया; संपूर्ण हिंदुस्थान उनका घर बन गया। उन्होंने अपनी मातृभूमि को परम वैभव तक ले जाने का संदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से दिया। आज विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ों स्वयंसेवक उसी मार्ग पर चल रहे हैं। प्रस्तुत है इस वर्ष 1 अप्रैल को डॉक्टर जी की 133वीं जयंती पर यह विशेष आलेख। 

रोहिंग्याओं की  नासूर बनती घुसपैठ

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म्यांमार के रोहिंग्याओं के आतंक के कारण जिस तरह म्यांमार परेशान है, उसी तरह उनकी घुसपैठ से भारत भी त्रस्त है। भारत के दुश्मनों की शह पर इन्हें जानबूझकर भारत में घुसाया जाता है, ताकि वे शरणार्थी का रूप लेकर जिहाद के अपने असली मकसद को अमली जामा पहना सके।

के. एल. सहगल: पार्श्व गायन का पहला सितारा

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गायकों की दो पीढ़ियों के आदर्श सहगल को याद करना संगीत के एक ऐसे सेनानी को याद करना है, जिसके द्वारा कला की रेत पर छोड़े गए निशानों को आज भी हर पारखी देखता है, निहारता है और उस पर आगे चलने की युक्ति करता है।

कांग्रेस की वामपंथी कलाबाजी

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कांग्रेस वामपंथियों की कलाबाजियों का ऐसा चित्र प्रस्तुत करती है, जो अव्यक्त चित्र याने माडर्न आर्ट की तरह होता है। तीस्ता सीतलवाड़ की गुजरात में साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ तथाकथित यात्रा और कांग्रेस पदाधिकारी शबनम आजमी का निष्पक्ष समाजसेवी बनकर घूमना इसके नमूने हैं। उनका मूल मकसद भाजपा के खिलाफ जनमत बनाना ही होता है।

देशी व विदेशी मीडिया की भारत विरोधी जुगलबंदी

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देश में कई पत्रकार ऐसे हैं जिन्हें मोदी सरकार, भाजपा व राष्ट्रीय विचार रखने वाले व्यक्तियों व संगठनों के खिलाफ अभियान चलाना ही है। दुर्भाग्य की बात यह है कि इस राजनीतिक खेल को पत्रकारिता का आड़ में अंजाम दिया जा रहा है।

किसानों का नहीं, केवल टिकैत का आंदोलन

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कृषि कानून विरोधी आंदोलन 26 जनवरी के पहले जितना प्रचंड दिख रहा था, उसका पासंग भी अब रहा नहीं। यह कमजोर किसानों के बीच ही निष्प्रभावी और पर्दे के पीछे से सक्रिय राजनीतिक चेहरों को सामने लाने के कारण अपनी छवि विकृत कर चुका है।

मुसलमानों के प्रति बदलता दुनिया का नजरिया

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जर्मनी जुलाई 2020 में बुर्का और नक़ाब को विद्यालयों-विश्वविद्यालयों में प्रतिबंधित कर चुका है। स्विट्जरलैंड ने अभी कुछ दिनों पूर्व ही जनमत करा बुर्का पर प्रतिबंध लगाया है। श्रीलंका ने बीते दिनों 1000 मदरसों को बंद करने के साथ-साथ बुर्के को भी प्रतिबंधित करने की घोषणा की है। ऑस्ट्रेलिया में भी इसे लेकर व्यापक विमर्श जारी है।

क्या धोखेबाजी से बाज आएगा पाकिस्तान?

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भारत-पाकिस्तान के बीच फिर एक बार संघर्ष विराम समझौता हुआ है और चीन भारत के बीच भी सीमा पर शांति समझौता हुआ है। लेकिन यह कितने दिन चलेगा, यह आशंका सदा बनी रहेगी क्योंकि, पीठ में खंजर घोंपने की चीन-पाकिस्तान की पुरानी आदत है इसलिए समझौते के बाद भी भारत को अधिक चौकन्ना रहने की आवश्यकता है।

मानवीय असंवेदनाओं की होम डिलीवरी

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हाल ही में बंगलुरु में हुई घटना ने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस पूरी प्रक्रिया में किसकी कितनी गलती थी, यह तो जांच के बाद पता चलेगा ही; परंतु दो अनजान व्यक्तियों के बीच कुछ ही पलों में हाथापाई की नौबत आ जाए यह समाज के किस पहलू की ओर इशारा कर रहा है? भारतीय समाज में यह किस प्रकार की संस्कृति शामिल होती दिखाई दे रही है?

दक्षिण में उभरती भाजपा

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दक्षिण के तीन राज्यों- तमिलनाडु, केरल व पुदुचेरी  में विधान सभा चुनाव की गहमागहमी है। तमिलनाडु में भाजपा अन्नाद्रमुक के साथ चल रही है तो पुदुचेरी में उसे सफलता मिलने की उम्मीद है। केरल में पिछली बार उसने मात्र एक सीट जीती थी, लेकिन अब की बार मेट्रो मैन श्रीधरन के चुनाव मैदान में उतरने से सीटें बढ़ सकती हैं।

कांग्रेस का मुस्लिम परस्त चेहरा

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पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अलग-अलग राज्यों में मुस्लिम नेताओं और उनकी पार्टियों के साथ गठबंधन किया है जिसके चलते कांग्रेस का मुस्लिम परस्त चेहरा उभर कर सामने आया। इससे कांग्रेस के भीतर भी यह सवाल उठ रहा है कि क्या धर्मनिरपेक्षता के नाम पर चल रहा पाखंड कांग्रेस को नैतिक व राजनीतिक रूप से कमजोर कर रहा है?

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