पोथी तुम कितनी गुणवती हो

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साहित्य में अब पाठकों की रुचि नहीं रही यह मानकर अच्छा साहित्य लिखा जाना बंद नहीं हो जाना चाहिए। पाठकों की रुचि और उनके दिशादर्शन का ध्यान रखकर साहित्य का निर्माण करना साहित्यकारों का दायित्व है और साहित्यकारों की रचनाओं को उचित प्रतिसाद देना पाठकों का।

युवा आदर्श महानगर

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भारत सरकार की शहरी विकास की नीति आगामी कई दशकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। स्मार्ट सिटी के विकास की संकल्पना जुड़वा शहर को केंद्र में रखकर तैयार की गई है। जिस तरह से देश के सभी महानगरों के समीप उपनगर के विकास की गति है, उसमें मुंबई और नवी मुंबई की बसाहट एक ‘मॉडल’ के रूप में है।

वानप्रस्थ की वर्तमान संकल्पना

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रिटायरमेंट के जीवन को लोग बोझ समझने लगते हैं, जबकि उनके अनुभव का उपयोग समाज और राष्ट्रहित में किया जा सकता है। वर्तमान में वानप्रस्थी जीवन जी रहे लोगों के पास लोकसेवा के असीम अवसर उपलब्ध हैं। वे सामाजिक कार्यों में अपने समय का सदुपयोग कर जीवन की नीरसता से भी बच सकते हैं।

पर्यावरण की रक्षा और वैश्विक संस्थाएं

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पर्यावरण की रक्षा के लिए पूरे विश्व में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं कार्यरत हैं। यह एक तरह से जनता का संयुक्त अभियान है। इसलिए कि आने वाली भयावह स्थिति से निपटने के लिए अभी से सार्थक कदम उठाना जरूरी है।

हिंदी के विकास में गैर हिंदी भाषियों का योगदान

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भारत में विभिन्न बोलियों के रूप में लगभग सात सौ अस्सी भाषाएं प्रचलित हैं। इनको छियासठ लिपियों के द्वारा लिखा जाता है। भारत के संविधान द्वारा बाईस भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। इनमें जनसंख्या, क्षेत्रीय विस्तार और बोलियों की संख्या की दृष्टि से हिंदी सब से

सिंहस्थ मेला ऐतिहासिकता एवं उपादेयता

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धर्मप्राण भारत के जनजीवन में कुम्भ, अर्धकुम्भ तथा सिंहस्थ का एक विशिष्ट स्थान है। ये पर्वहमें हजारों साल प्ाुरानी स्मृति और परम्परा से जोड़ते हैं। विविध विशेषताओं से तथा पौराणिक गाथाओं से संबंधित और श्रीमद्भागवत, विष्णु प्ा

पर्यावरण परिवर्तन एक वैश्विक संकट

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पृथ्वी के चारों ओर कई सौ किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को ‘वायुमण्डल’ कहा जाता है। पृथ्वी की आकर्षण शक्ति के कारण ही यह वायुमण्डल उसके साथ टिका हुआ है।

बोलियां

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भारत एक बहुभाषा-भाषी देश है। स्वतंत्रता के उपरान्त भाषा के आधार पर ही राज्यों का गठन किया गया। भाषाओं को एक भौगोलिक सीमा में बांधने का कार्य किया गया।

विश्व सम्मेलनों से नहीं सुलझेगी पर्यावरण समस्या

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भौतिक उन्नति और भोगवादी प्रवृत्ति के कारण इस समय समूचा भूमण्डल पर्यावरण के संकट में घिर गया है। दुनिया भर के पर्यावरण शास्त्री, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और जनप्रतिनिधि जलवायु में हो रहे परिवर्तन से चिन्तित हैं। वैश्विक सम्मेलनों में विविध स्तरों पर इस संकट से निकलने की चर्चाएं हो रही हैं। किन्तु सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि बड़े पैमाने पर पूरे विश्व को पर्यावरण संकट में डालने वाले धनी और सुविधाभोगी देश अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।

भारत के समृद्धि की कहानी कहती पुस्तक

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भारत एक धर्मप्राण देश है। यहाँ का सम्पूर्ण जीवनचक्र धर्म के चतुर्दिक घूमता रहता है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पुरुषार्थ माना गया है। धर्म पूर्वक जीवन-यापन करते हुए अर्थ का उपार्जन करना और उसका त्यागपूर्ण उपभोग करते हुए मोक्ष के पथ पर अग्रसर होना ही नीति के अनुकूल माना गया है। धनोपार्जन के अनेक उपादानों का विवरण भारतीय वांङ्मय में बताया गया है।

मुंबई की लोकल गाड़ियों में गाना लोक गायकी का अनोखा अंदाज

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मुंबई की लोकल गाड़ियों में अनेक भजन मंडलियां वर्षों से यात्रा करती आ रही हैं। मध्य रेलवे के कसारा और टिटवाला तथा कर्जत और नेरल स्टेशनों एवं पश्चिम रेलवे के विरार और वसई आदि स्टेशनों से लोकल में चढ़ने वाली भजन मंडलियों के समूह गाड़ी में अपने आराध्य की प्रतिमा स्थापित करते हैं,

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